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Namaste Sada Vatsale (Sanskrit:) is Rashtriya Swayamsevak Sangh's prayer. This prayer is in Sanskrit except last line which is in Hindi. It is compulsory to sing this prayer in all programs of Sangh. It was written by Shri Narhar Narayan Bhide, a Sanskrit professor in guidance of Dr. K. B. Hedgewar and Madhav Sadashiv Golwalkar. नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे, ''(हे परम वत्सला मातृभूमि! मै तुझे निरंतर प्रणाम करता हु,)'' त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम् । ''(तूने सब सुख दे कर मुझको बड़ा किया|)'' महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे, ''(हे महा मंगला पुण्यभूमि!)'' पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ।।१।। ''(तेरे ही कारण मेरी यह काया, तुझको अर्पित, तुझे मै अनन्त बार प्रणाम करता हु।।)'' प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता, ''(हे सर्व शक्तिमय परमेश्वर! हम हिंदुराष्ट्र के अंगभूत घटक,)'' इमे सादरं त्वां नमामो वयम् | ''(तुझे आदर पूर्वक प्रणाम करते है।)'' त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयं, ''(तेरे ही कार्य के लिए हमने कमर कासी है,)'' शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये || ''(उसकी पूर्ति के लिए हमें शुभ आशीर्वाद दे||)'' अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं, ''(विश्व के लिए अजेय ऐसी शक्ति,)'' सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत् | ''(सारा जगत विनम्र हो ऐसा विशुद्ध (उत्तम) शील|)'' श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं, ''(तथा बुद्धि पूर्वक स्वीकृत, हमारे कंटकमय मार्ग को सुगम करे,)'' स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत् ।।१।। ''(ऐसा ज्ञान भी हमें दे।।)'' समुत्कर्षनिःश्रेयसस्यैकमुग्रं ''(अभ्युदय सहित निःश्रेयस की प्राप्ति का,)'' परं साधनं नाम वीरव्रतम् ''(वीर व्रत नामक जो एकमेव श्रेष्ठ, उग्र साधन है,)'' तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा ''(उसका हम लोगों के अंत:करण में स्फुरहण हो,)'' हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्रानिशम् । ''(हमारे र्हुद्य मे, अक्षय तथा तीव्र ध्येयनिष्ठा सदैव जागृत रहे।)'' विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर् ''(तेरे आशीर्वाद से हमारी विजय शालीन संघटित कार्य शक्ति,)'' विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम् । ''(स्वधर्म का रक्षण कर ।)'' परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं ''(अपने इस राष्ट्र को परम वैभव की स्थिति,)'' समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम् ।।३।। ''(पर ले जाने में अतीव समर्थ हो ।।)'' भारत माता की जय ।। ==IAST== namaste sada vatsale matruṛbhume tvayā hindubhūme sukhaṁ vardhitoham mahāmaṅgale puṇyabhūme tvadarthe patatveṣa kāyo namaste namaste || prabho śaktiman hindurāṣṭrāṅgabhūtā ime sādaraṁ tvāṁ namāmo vayam tvadīyāya kāryāya badhdā kaṭīyaṁ śubhāmāśiṣaṁ dehi tatpūrtaye ajayyāṁ ca viśvasya dehīśa śaktiṁ suśīlaṁ jagadyena namraṁ bhavet śrutaṁ caiva yatkaṇṭakākīrṇa mārgaṁ svayaṁ svīkṛtaṁ naḥ sugaṁ kārayet || samutkarṣaniḥśreyasasyaikamugraṁ paraṁ sādhanaṁ nāma vīravratam tadantaḥ sphuratvakṣayā dhyeyaniṣṭhā hṛdantaḥ prajāgartu tīvrāniśam vijetrī ca naḥ saṁhatā kāryaśaktir vidhāyāsya dharmasya saṁrakṣaṇam paraṁ vaibhavaṁ netumetat svarāṣṭraṁ samarthā bhavatvāśiśā te bhṛśam || bhārata mātā kī jaya 抄文引用元・出典: フリー百科事典『 ウィキペディア(Wikipedia)』 ■ウィキペディアで「Namaste Sada Vatsale」の詳細全文を読む スポンサード リンク
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